हाथरस की बेटी के साथ जो कुछ हुआ उसने निर्भया मामले की दरिंदगी की याद दिला दिया है. दिल दहला देने वाली वारदात में पीड़िता की मौत के बाद सियासत तेज हो गई है. अब अपराध की गंभीरता और पीड़िता की मौत के बाद नेता तेजी से सक्रिय होते हैं. पिछले कुछ समय से इस मामले को लेकर सियासी बयानबाजी जारी है.
समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व CM ने ताजा ट्वीट में लिखा कि ‘हाथरस की मृतका के परिजनों को शासन के मूक आदेश पर प्रशासन ने दौड़ा-दौड़ाकर मारा है. अब जनता भी इन सत्ताधारियों को दौड़ा-दौड़ाकर इंसाफ की चौखट तक ले जाएगी. भाजपा के कुशासन का असली रंग जनता देख रही है. कपटियों का लबादा उतरते में देर नहीं लगेगी.’
हाथरस की मृतका के परिजनों को शासन के मूक आदेश पर प्रशासन ने दौड़ा-दौड़ाकर मारा है. अब जनता भी ऐसे ही इन सत्ताधारियों को दौड़ा-दौड़ाकर इंसाफ़ की चौखट तक खींच के ले जाएगी.
भाजपा के कुशासन का असली रंग जनता देख रही है. कपटियों का लबादा उतरते अब देर नहीं लगेगी. #Hathras#NoMoreBJP
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 1, 2020
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) लगातार ट्वीट करके योगी सरकार को घेर रहें हैं. हाल ही उन्होने कहा था कि हाथरस की बेटी का जबरन दाह संस्कार सबूत मिटाने की कोशिश है यानी गैंगरेप पीडिता का जबरन दाह संस्कार भाजपा सरकार का पाप और अपराध है. वहीं कांग्रेस पार्टी नेता और केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने भी इस मामले को लेकर यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं.
UP के जंगलराज में बेटियों पर ज़ुल्म और सरकार की सीनाज़ोरी जारी है।
कभी जीते-जी सम्मान नहीं दिया और अंतिम संस्कार की गरिमा भी छीन ली।
भाजपा का नारा ‘बेटी बचाओ’ नहीं, ‘तथ्य छुपाओ, सत्ता बचाओ’ है।#BalrampurHorror
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 1, 2020
पीड़िता और आरोपियों की जाति/धर्म और राजनीतिक नफे-नुकसान का अंदाजा लगाने के बाद जो संवेदना दिखाई जाती है उनती अगर किसी भी मामले के सामने आने पर दिखे तो न जाने कितनी बेटियों को बचाया जा सकता है.
हाथरस की निर्भयाः प्रियंका ने योगी का इस्तीफा मांगा, मायावती बोलीं- सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले